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दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया 

जिसके दिल में प्रिय राम सदा, वह भक्त कहावत है जग में I 
सियराम अनंत असीम  महा, रहती हरि प्रीति सदा पग में I 
यशगान किया करता चलता, प्रभु राम अभीष्ट महेश्वर हैं I 
अनुराग लिये विचरा करता,उस धाम जहाँ परमेश्वर हैं। 

रघुनाथ सहायक हैं जिसके, उसको कुछ की नहिं चाहत है। 
रहता मन मंदिर आंगन में, मनमस्त कभी नहिं आहत है। 
प्रभु राम भजन लवलीन सदा,बस एक मनोरथ है य़ह ही। 
 नहिं दूसर काम कभी बढ़िया, बस केवल राम सुवास सही। 

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4 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 06:01 PM

शानदार

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Asif

09-Nov-2022 06:10 PM

Nice

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Muskan khan

09-Nov-2022 05:41 PM

Well done 😊

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